मृत्यु , नहीं पराजय है मानव की ,
अगर पराजय है तो उससे डरना ।
लड़ते रहना ही जीवन है ,
फिर क्या खोना क्या पाना ।।
हम मानव है प्यार के भूखे ,
प्यार सभी से करते है ।
जीवन से है हाथ मिलाया ,
मृत्यु को आलिंगन करते हैं ॥
बलशाली का चादर ओढ़े ,
प्रकृति को डराते हो ।
है हिम्मत तो रणभूमि में आ ,
कायर की भाँती चुपके से ,
दबे पाँव चले आते हो ।।
मेहनतकश मजदूर है हम ,
बंज़र को की हरियाली ही ।
जीत लिया है जीवन को ,
"मृत्यु " तेरी ही बारी है ॥
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