तुमने कभी देखा है ?
हंसी को ,
रोते हुए ;
कहोगे तुम भी हंसकर -
कैसी बेवकूफी भरी बातें हैं,
भला हंसी भी कहीं रोती है ,
वो क्यूँ रोए
हंसी तो हंसी है ...
चहरे को जीवंत कर देती है ।
गर्म कर देती है
वातावरण को ।
हरियाली कर देती है
बंजर धरा को ।
हंसी लुटाती है
अपार खुशियाँ ।
खुशनुमा बनती है
ग़मगीन माहौल को ।
भला वो क्यों रोए ;
हंसी दूसरों को हसाती है ,
खिलखिलाकर।
लेकिन क्या , तुमने
कभी देखा !
कभी महसूस किया
उस हंसी को ।
उस दर्द को
देखा तुमने ; उस
हंसी में
वो चीख पुकार
सुनाई दी ;
उस तनहा की 'विरह -गाथा '
पर , कभी ध्यान दिया
जिसने तुम्हें हंसाया ;
क्या तुमने , उन आंसुओं के बहते
पतले धार को देखा...
जब वो तुम्हें हंसा रहा था।
टीम तो हंसने में मशगुल थे
हंसो , तुम्हें तो सिर्फ
हँसना ही है। खैर ,
गर वक़्त मिले
तो गौर से , दिल से
निरीक्षण करो
उन हंसी को
क्योंकि -
" हंसी भी रोते हैं !"
:- चन्दन कु गुंजन
हंसी को ,
रोते हुए ;
कहोगे तुम भी हंसकर -
कैसी बेवकूफी भरी बातें हैं,
भला हंसी भी कहीं रोती है ,
वो क्यूँ रोए
हंसी तो हंसी है ...
चहरे को जीवंत कर देती है ।
गर्म कर देती है
वातावरण को ।
हरियाली कर देती है
बंजर धरा को ।
हंसी लुटाती है
अपार खुशियाँ ।
खुशनुमा बनती है
ग़मगीन माहौल को ।
भला वो क्यों रोए ;
हंसी दूसरों को हसाती है ,
खिलखिलाकर।
लेकिन क्या , तुमने
कभी देखा !
कभी महसूस किया
उस हंसी को ।
उस दर्द को
देखा तुमने ; उस
हंसी में
वो चीख पुकार
सुनाई दी ;
उस तनहा की 'विरह -गाथा '
पर , कभी ध्यान दिया
जिसने तुम्हें हंसाया ;
क्या तुमने , उन आंसुओं के बहते
पतले धार को देखा...
जब वो तुम्हें हंसा रहा था।
टीम तो हंसने में मशगुल थे
हंसो , तुम्हें तो सिर्फ
हँसना ही है। खैर ,
गर वक़्त मिले
तो गौर से , दिल से
निरीक्षण करो
उन हंसी को
क्योंकि -
" हंसी भी रोते हैं !"
:- चन्दन कु गुंजन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें