Man Ki Baat

कवि जब "भावनाओ के प्रसव" से गुजरते है तो कविताएँ प्रस्फूटित होते है। शुक्लजी कहते हैं कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है और इसे जीवन की अनुभूति कहा। प्रसाद जी ने सत्य की अनुभूति को ही कविता माना है। कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से है। यथार्थवादी, प्राकृत्रिक-सौंदर्य और जीवन-दर्शन की झलकें लिए कुछ मर्मस्पर्शी कविताएँ चंदन गुंजन की कलम से । मेरी दूसरी ब्लॉग पढें The Cynical Mind

शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

शायद , तुम थी !

हरी पगडंडियों पर
नंगे पाँव
घास पर पड़े , ओस
की बूंदों को समेटकर
ऊपर छिड़कना ,
और जिस्म गीला
शायद ! तुम्हारा ही था ।

अमावाश की रातो में
चाँद की प्रतीक्षा ,शायाद
तुम्हारे लिए ही था
बादलों को एकटक निहारना ,
की तुम हो शायद !
तितलियों के पीछे
शोर करते हुए भागना
की , शायद
तुम मिल जाओ !
फूलों पर से
मधुमक्खियों के झुण्ड
को उडाना ,
मुझे लगता की
तुम वही पर हो !

बेचैनी और उल्लास
के समागम में
खँडहर के पीछे
शायद , तुम्हारा ही इंतजार था
बादल संघनित होने लगे
पंछी लौट आए हैं
तुम्हारा पता नही ...
: चंदन

बुधवार, 25 नवंबर 2009

१. रफ़्तार


रफ़्तार भरी कायनात में ,

सब अपने लक्ष्य को पाने को

सुरसा की भांति

मुंह बाए ,

की एक आसरा मिल जाए

अहर्निश परिश्रम कर ,

अपने आप से जद्दोजहद ;

एक अनोखी वास्तु की तलाश में

जो ख़ुद नही जानते

लूट - खसोट, कत्ले आम करते ,

नदी -नाले , पहारों को लांघते हुए ;

फ़िर भी हम वहीँ रह जाते ,

जहाँ से हमारा आविर्भाव हुआ

: चंदन