Man Ki Baat

कवि जब "भावनाओ के प्रसव" से गुजरते है तो कविताएँ प्रस्फूटित होते है। शुक्लजी कहते हैं कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है और इसे जीवन की अनुभूति कहा। प्रसाद जी ने सत्य की अनुभूति को ही कविता माना है। कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से है। यथार्थवादी, प्राकृत्रिक-सौंदर्य और जीवन-दर्शन की झलकें लिए कुछ मर्मस्पर्शी कविताएँ चंदन गुंजन की कलम से । मेरी दूसरी ब्लॉग पढें The Cynical Mind

रविवार, 9 जून 2013

आकांक्षा


कभी  न कभी चाहता ही  है मन ;
कभी-न-कभी तो होता ही है एहसास  ;
बीच दरिया की नाव ,
लगी हो आस-पास ।।

 कभी  न कभी तो चाहता ही है दिल
की उन्मुक्त गगन में उड़ते रहे ,
 होकर अलग अपने काफिले से  ।।

कभी  न कभी तो चाहता ही है मन
बन जाये एक लम्बी रेस का घोडा
सुनसान सड़क पर दौड़ते रहे , बिना हँकाते  ।। 

कभी  न कभी तो इच्छा होती है
 वो चाँद जो दूर बैठा है , हो मेरे पास
सार काम कर लू उसकी रोशनी में ।। 
 
कभी  न कभी तो लगता है, कि
कोई लगा दे आग शांत पटाखे में
और चिंगारी बनकर बिखर  जाऊँ  ;
सदा के लिये॥  

                                : चन्दन गुन्जन 

1 टिप्पणी:

  1. wow....Dear chandan its you....i m astonished yaar, i cannt say how much happy i am and i am really surprised because u never had interest to write such a lovely HINDI POEM.....any way its awesome and fabulous...keep it up MR INDIA...i called you mr india because u r chupe rushtum...i called u chupe rustum because u never tell me that u r writing ur blog and nice KAVEETAS...........

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