Man Ki Baat

कवि जब "भावनाओ के प्रसव" से गुजरते है तो कविताएँ प्रस्फूटित होते है। शुक्लजी कहते हैं कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है और इसे जीवन की अनुभूति कहा। प्रसाद जी ने सत्य की अनुभूति को ही कविता माना है। कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से है। यथार्थवादी, प्राकृत्रिक-सौंदर्य और जीवन-दर्शन की झलकें लिए कुछ मर्मस्पर्शी कविताएँ चंदन गुंजन की कलम से । मेरी दूसरी ब्लॉग पढें The Cynical Mind

रविवार, 27 सितंबर 2015

मन का गीत


 अक्सर करता है दिल
 गाने को , गुनगुनाने को

 गीत समृद्धि का,
 गीत ख़ुशी का ,

 गीत  उत्थान का ,  कल्याण का
 पूर्णता का         परिपक्वता का
 गीत   प्यार का  ,      सौहार्द्र का
गीत आदमियत के, एहसास  का
            मानवता  के आभास का

पर ,
गा   नहीं पाते  ।

पता नहीं क्यूँ

                            कुछ रोकता है,
                            कोई रोकता है ,
                  और हम  ठहर जाते है ।

फिर लोग कहते हैं
        मरा , बेजान
मुँह मोड़ते हैं वही
जिसके कारण  गा ना पाया । ।

इसलिए
           उठो,       गाओ गीत
                       ज़िन्दगी का
                             ख़ुशी का
ग़म तो मात्र दिमागी फितरत है ॥

गाने का  कोई समय नहीं , नहीं  कोई स्थान ।
गाते   रहो          मिलेगी                पहचान ॥

इसलिए हे पथिक ,

इतिहास के पन्नों में 'जी कर मरना '
मर कर जीने से इतिहास नहीं बनता ॥


3 टिप्‍पणियां:

  1. अपने अंतः करण की वाणी से अपने मन के समस्त विकारो को ज्ञान रूपी कलम से एक प्रेरणादायक सन्देश हम तक लाने का एक अतुल्य काम आपने किया है | जो हमे प्रेरणा से ओत-प्रोत और पूर्ण रूप से भरा हुआ होने का सुगम एहसास कराता है | जिसका हम दिल से आपको आभार व्यक्त करते है | और एक आशा के साथ की आगे भी आपकी ऐसी सेवाएं हम तक आती रहे बहुत बहुत धन्यवाद |

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