Man Ki Baat

कवि जब "भावनाओ के प्रसव" से गुजरते है तो कविताएँ प्रस्फूटित होते है। शुक्लजी कहते हैं कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है और इसे जीवन की अनुभूति कहा। प्रसाद जी ने सत्य की अनुभूति को ही कविता माना है। कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से है। यथार्थवादी, प्राकृत्रिक-सौंदर्य और जीवन-दर्शन की झलकें लिए कुछ मर्मस्पर्शी कविताएँ चंदन गुंजन की कलम से । मेरी दूसरी ब्लॉग पढें The Cynical Mind

शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

टेम्पोवाला

अनजाना  नहीं है ,मेरे लिए 
अब ये शहर। 
बहुत दिनों से रहता आ रहा हूँ ;
फिर भी ना जाने क्यों ,
महसूस करता हू तन्हा -तन्हा। 

अपने आप से ही बाते करता हूँ। 
और ऐसे ही करते है 
सरे जन। 
कोई बोलना नहीं चाहता 
तो, कोई बोल नहीं पता। 

सबको अपने की पड़ी है;  
रमे है लोग ,
चिंता व चिंतन के 
सम्मिश्रण में।
 
वो पकी हुयी दाढ़ियो को 
हीरो कट लुक दिए, 
टेम्पोवाला  !
विस्मय भरी नजरो से ,
भिकाजी कामा  प्लेस पे 
निहारते है, आवाज़ लगाते है ; 
बड़ी बड़ी इमारतों के बीच ,
बड़ी-बड़ी उम्मीदें लिए। 

आखिर सूरज निकला ,
सवेरा कर गया ,एक तीस वर्षीय 
सरदार जी ने। 
गन्तव्य को पहुचने ,
खड़ -खड़  के साथ टेम्पो स्टार्ट हुयी ,
आँखों से ओझल। 

अब उसी जगह दूसरा 
टेम्पोवाला ……….. ॥