
रफ़्तार भरी कायनात में ,
सब अपने लक्ष्य को पाने को
सुरसा की भांति
मुंह बाए ,
की एक आसरा मिल जाए
अहर्निश परिश्रम कर ,
अपने आप से जद्दोजहद ;
एक अनोखी वास्तु की तलाश में
जो ख़ुद नही जानते
लूट - खसोट, कत्ले आम करते ,
नदी -नाले , पहारों को लांघते हुए ;
फ़िर भी हम वहीँ रह जाते ,
जहाँ से हमारा आविर्भाव हुआ
: चंदन
Yar, nice , tum to mere jaise hi ho, mujse better ho.
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