Man Ki Baat
कवि जब "भावनाओ के प्रसव" से गुजरते है तो कविताएँ प्रस्फूटित होते है। शुक्लजी कहते हैं कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है और इसे जीवन की अनुभूति कहा। प्रसाद जी ने सत्य की अनुभूति को ही कविता माना है। कविता वह साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से है। यथार्थवादी, प्राकृत्रिक-सौंदर्य और जीवन-दर्शन की झलकें लिए कुछ मर्मस्पर्शी कविताएँ चंदन गुंजन की कलम से ।
रविवार, 20 अगस्त 2017
THE CYNICAL MIND: कर्मयोग या भोग (संस्मरण)
THE CYNICAL MIND: कर्मयोग या भोग (संस्मरण): इसी साल जनवरी 2017, प्रगति मैदान के पुस्तक मेले में एक अजीब सा पोस्टर चारों तरफ झकझका रहा था। पोस्टर विस्मित करने वाला था। दिल मे गुदगुदी क...
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